Old Pension Scheme News: पुरानी पेंशन योजना से संबंधित एक मामले में दैनिक वेतन भोगी को पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने का आदेश हाईकोर्ट ने दिया साथ ही हाई कोर्ट ने वर्ग चार्ज सेवा को पेंशन योग माना है डेरी पर 6% वार्षिक ब्याज देने का भी आदेश दिया है।
Old Pension Scheme News: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की ओर से एक बहुत ही महत्वपूर्ण फैसले में राज्य सरकार को एक रिटायर्ड चपरासी को पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने का आदेश दिया है यह सेवा निवृत चपरासी पहले एक संविदा दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में कार्यरत था और बाद में उसे कार्यभार ग्रहण करने का दर्जा दिया गया।
बकाया धनराशि सहित पुरानी पेंशन लाभ के हकदार
नरेंद्र कुमार बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य एवं अन्य के मामले में न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने CWP संख्या 193/2024 में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि नरेंद्र कुमार जिन्होंने जनवरी 1990 में दैनिक वेतन भोगी संविदा कर्मचारियों के रूप में शुरुआत करी थी और बाद में 2006 में उनका नियमितीकरण किया गया बकाया सहित पुरानी पेंशन योजना का लाभ लेने के हकदार थे एक शर्त थी नई पेंशन योजना अर्थात एनपीएस के तहत प्राप्त राशि जमा करें। पुरानी पेंशन योजना के अंतर्गत अदालत में देरी के लिए 6% ब्याज की चेतावनी देते हुए कहा कि याचिका स्वीकार की जाती है साथ ही प्रतिवादियों को निर्देश दिया गया कि वे पेंशन के उद्देश्य के लिए प्रेरक सेवा की गणना करते समय कार्यभार की स्थिति को ध्यान में रखें और उसके बाद पुरानी पेंशन योजना का लाभ के तहत दे और स्वीकार्य पेंशन जारी करें इसके लिए कोर्ट ने 2 महीने का समय दिया।
कोर्ट में वर्कचार्ज सेवा को पेंशन के लिए योग्य माना
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिका कर्ता ने अपनी लंबी सेवा जिसमें 6 साल उसने संविदा कर्मचारी यानी कि वर्क चार्ज कर्मचारियों के रूप में और 11 साल नियमित कर्मचारियों के रूप में सेवा दी है इसका हवाला देते हुए फरवरी 2017 में जब वह रिटायर्ड हुए तब से पेंशन क्रिएटिविटी और बकाया राशि की मांग की गई थी उनकी याचिका को व्यास देव बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य और प्रेम सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य जैसे पिछले फसलों का हवाला दिया गया था जहां अदालतों ने पेंशन नियम 1972 के अंतर्गत वर्ग कर सेवा को पेंशन के लिए योग माना था।
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कोर्ट ने राज्य सरकार के स्तर को खरीद करते हुए 2003 के बाद उनके नियमितीकरण से पुरानी पेंशन योजना के लिए आयोग बना दिया अदालत ने फैसला सुनाया की 2000 से कार्यभार ग्रहण करके उनके 6 साल उनकी योग्यता सेवा में जोड़े जाएं अदालत ने प्रेम सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का हवाला देते हुए आदेश में शामिल किया कि राज्य सरकार द्वारा लंबी कार्यभार ग्रहण सेवा जैसे शोषणकारी तरीकों का इस्तेमाल करना और बाद में नीतिगत कट ऑफ का हवाला देते हुए कर्मचारियों को लाभ से वंचित करना बिल्कुल अनुचित है राज्य सरकार ने भी देरी और लापरवाही के आधार पर याचिका पर आपत्ति जताई थी और तर्क दिया था कि नरेंद्र कुमार ने याचिका बहुत देरी से दायर की थी कोर्ट ने पेंशन न मिलने के कारण याचिकाकर्ता को लगातार हो रही परेशानी का हवाला देते हुए इसे खारिज कर दिया था और कहा था कि गरीब कर्मचारियों से जुड़ी ऐसी सेवा संबंधी मामलों में अदालतों का तकनीकी आधार पर खारिज करने के बजाय कर्मचारियों के मौलिक अधिकारों के संरक्षक के रूप में कार्य करना चाहिए। कोर्ट ने याचिका करता को एनपीएस के तहत मिलने वाली राशि को जमा करने और पुरानी पेंशन योजना के तहत सभी दे और पुरानी पेंशन जारी करने का आदेश दिया।
हाई कोर्ट के फैसले का असर
हाई कोर्ट के इस निर्णय से हिमाचल प्रदेश में इसी प्रकार के कई मामलों पर प्रभाव पड़ने की संभावना है इसी तरह के जहां हजारों कर्मचारी जिन्हें शुरू में दैनिक वेतन बढ़चर या फिर संविदा के आधार पर रखा गया था और पुरानी पेंशन योजना के तहत पेंशन लाभ लेने के लिए सेवा की मान्यता की मांग कर रहे हैं उन सभी के लिए हाई कोर्ट के इस फैसले से उम्मीद की किरण जगी है।